Monday, November 12, 2012

सहर लखनवी

यह शहर मुहब्बत का बाज़ार है
यहाँ जो है जी का ख़रीदार है
मुअत्तर है हर एक इस की गली
खिलाते हैं गुल पाएंचे की कली

इसी शहर का नाम है लखनऊ
इसी शहर की सहर है गुफ़्तगू
अजब शहर है कुछ अजब लोग हैं
बहुत हैं मगर मुन्तख़ब लोग हैं


मुअत्तर : महकती हुई (अत्र/इत्र में डूबी); मुन्तख़ब : ख़ास, चुने हुए

Gulistan-e Lucknow
Shahar-e Lucknow
 
یہ شہر محبّت کا بازار ہے
یہاں جو ہے جی کا خریدار ہے
معطر ہے ہر ایک اس کی گلی
کھلاتے ہیں گل پائنچے کی کلی
 
اسی شہر کا نام ہے لکھنؤ
اسی شہر کی سحر ہے گفتگو
عجب شہر ہے کچھ عجب لوگ ہیں
بہت ہیں مگر منتخب لوگ ہیں

 سحر لکھنوی

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